पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi
इस लेख में पर्यावरण प्रदूषण समस्या और समाधान पर निबंध मुख्य हैडिंग सहित समझाया गया है। यहाँ से आप निबंध लिखने का आईडिया ले सकते है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250 शब्दों में Essay on Environment Pollution in 250words
पर्यावरण (Environment ) शब्द का अर्थ वह वातावरण है जो हमें चारों और से घेरे हुए है। और जब इस पर्यावरण में कुछ ऐसे तत्व आकर मिल जाते है,
जिससे पर्यावरण में रह रहे जीव जंतुओं तथा वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है उस स्थिति को पर्यावरण प्रदूषण (Environment Pollution) कहा जाता है।
बढ़ती हुई जनसंख्या (Population) गरीबी (Poverty) बेरोजगारी (Unemployment) ओधोगीकारण (Industrilization) पर्यावरण प्रदूषण के कारण है जिससे पर्यावरण के प्राकृतिक घटक, हवा, पानी मिट्टी सब लगातार प्रदूषित हो रहे है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण मनुष्य तथा जीव जंतुओ के साथ वनस्पतियों में घातक रोग उत्पन्न हो रहे है, मनुष्य में दमा (Asthma) कैंसर, (cancer) हैजा (Cholera) जैसे कई रोग लगातार उत्पन्न हो रहे है।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार के साथ प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमेशा सजग और जागरूक रहना चाहिए, पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाले तत्वों के
उपयोग पर रोक लगा देनी चाहिए तथा उनका उपयोग के बाद समुचित उपचार करना चाहिए तभी हम एक स्वस्थ्य पर्यावरण का निर्माण कर सकेंगे।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों में Essay on Environment Pollution in 500words
प्रस्तावना Introduction
पर्यावरण प्रदूषण एक देश की समस्या नहीं है, इस समस्या से दुनिया के तमाम देश जूझ रहे है। इसलिए पर्यावरण प्रदूषण एक विशव्यापी समस्या (Global problem) बन गई है।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता तथा संरक्षण के लिए विश्व की कई पर्यावरण एजेंसियों तथा संगठनों ने कई दिवस दिवस घोषित किये है
जैसे :- विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून, (world environment day 5 june ) ओजोन दिवस 16 सितंबर, (Ozone day 16 September) जल दिवस 22 मार्च (Water day 22 march)
पृथ्वी दिवस, 22 अप्रैल, (Earth day, 22 April ) जैव विविधता दिवस,22 मई, (Biodiversity Day, May 22) आदि।
इन दिवस पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कई प्रकार के कार्य तथा जागरूकता के कार्यक्रम (Awareness programs) आयोजित होते है।
पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment
पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से हुआ है, परि+आवरण जिसमें परि का अर्थ होता है, "चारों ओर" तथा आवरण से अर्थ होता है
"घेरे हुए" इसलिए पर्यावरण का अर्थ वह आवरण जो सभी जीव जंतुओं तथा वनस्पतियों को घेरे हुए है, उसे पर्यावरण कहते है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण तथा निवारण Solution and causes of environment pollution
बढ़ते ओधोगीकारण तथा जनसंख्या पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण है। वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या के कारण प्राकृतिक आवासों (जंगल) को काटा जा रहा है, जिससे प्राकृतिक जल धारायें सूख रही है,
ऑक्सीजन की सांद्रता कम हो रही है। ओधोगीकरण के कारण रासायनिक कचरा से मिट्टी जल वायु प्रदूषित हो रहे है। लगातार जल रहे जीवाशम ईंधन से, तथा मोटर वाहन के धुंआ से दमघोटू वातावरण बनता जा रहा है।
आज के समय पर्यावरण प्रदूषण से कई गंभीर रोग, आँखों की बीमारी, लकवा, कमजोरी, कैंसर, हैजा रोग उत्पन्न हो रहे है।
आज के समय पर्यावरण प्रदूषण इतना बड़ गया की इससे एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 125 लाख लोग मर जाते है।. इसलिए पर्यावरण का संरक्षण ही जीवन का संरक्षण है।
अतः हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य करना चाहिए पर्यावरण को क्षति पहुँचाने वाले कारको का उपयोग नहीं करना चाहिए। वृक्षारोपण करना (Tree Plantation)
फैक्ट्रीयों का धुंआ तथा कचरे का उपचार, आदि पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। तभी स्वस्थ्य पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य जीवन का सपना साकार हो सकता है।
उपसंहार Conclusion
पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर तथा विश्वव्यापी समस्या (Global Problem) है, जिससे जीवों का जीवन ओर मरण सम्बंधित है। इसलिए सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण के लिए
ठोस नियम बनाना चाहिए और उसका दृढ़ता से पालन करवाना चाहिए, तभी पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है।
Content
प्रस्तावना
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
वायु प्रदूषण
जल प्रदूषण
रासायनिक प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव
पर्यावरण प्रदूषण का निवारण
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986
उपसंहार
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi
प्रस्तावना Preface
सर्वप्रथम हम आपको बता दें कि पर्यावरण क्या होता है? पर्यावरण का अर्थ क्या है? पर्यावरण को अंग्रेजी में Environment कहते है जो फ्रांस भाषा Environer से बना है
जिसका अर्थ है घेरे हुए। जबकि पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है परि जिसका अर्थ है - चारों ओर और आवरण जिसका अर्थ है घेरे हुए इस प्रकार पर्यावरण का अर्थ होता है
वह वातावरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं और हमें प्रभावित कर रहा है उसे पर्यावरण कहते हैं।
किन्तु आज पर्यावरण प्रदूषण एक विश्वव्यापी गंभीर समस्या बन गई है जिसके कारण इसके साथ प्राणी मात्र का जीवन मरण का प्रश्न जुड़ गया है।
वर्तमान युग (Present age) में पर्यावरण समस्या एक विकराल समस्या का रूप धारण करती जा रही है जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले समस्त प्राणी, वनस्पति आदि के लिए घातक सिद्ध हो रही है।
आज बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण प्रदूषण चरम सीमा तक जा पहुंची है जिसके परिणाम आज हमारे सामने हैं
कि हमारी पृथ्वी पर पाए जाने वाली प्राणियों की कई प्रजातियाँ (Species) तो विलुप्त हो ही चुकी हैं साथ ही साथ कई वनस्पतियाँ और मनुष्य का जीवन भी संकट में आ गया है।
अगर समय रहते हुए इसका समाधान ना किया गया तो वह दिन दूर नहीं की पृथ्वी पर से जीवन हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगा।
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पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution
प्रदूषण का अर्थ होता है, कि कोई भी वस्तु जिसमें कुछ ऐसे अवांछनीय तत्व (Undesirable element) मिल जाते हैं जिससे वह है अपने वास्तविक गुणों को खो देती है उसे ही हम प्रदूषण कहते हैं और उस वस्तु को प्रदूषित वस्तु कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग किए जाने वाले संसाधन जो मनुष्य के साथ वनस्पति तथा प्राणिमात्र के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं उन्हें प्रदूषण की श्रेणी में लाया जा सकता है।
जनसंख्या वृद्धि तथा औद्योगीकरण के कारण आज प्रदूषण दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ता जा रहा है और वह प्राणियों के शरीर पर स्वास्थ्य पर इसके साथ-साथ पेड़ पौधों पर भी हानिकारक प्रभाव डाल रहा है।
मनुष्य अपनी इच्छा पूर्ति के लिए अंधाधुंध वनों की कटाई कर रहा है जहाँ पर बड़ी-बड़ी इमारतें, नगर और कारखाने बनाए जा रहे हैं तथा इन्ही कारखानों से निकला हुआ धुआँ और काटे गए वृक्ष पर्यावरण प्रदूषण के कारण बन रहें है।
प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution
पर्यावरण प्रदूषण को मुख्यतः निम्न प्रकारों में बांटा गया है।
वायु प्रदूषण (Air pollution) - पर्यावरण प्रदूषण का एक सबसे बड़ा उदाहरण वायु प्रदूषण है, जो आज लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से मनुष्य में
कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ पनपती जा रही हैं, जिनका कोई इलाज भी नहीं है और मनुष्य अनायास ही मौत की ग्रास में समा जाता है।
दिन प्रतिदिन नए-नए कारखाने दिन-रात दौड़ते हुए वाहन तथा बड़ी-बड़ी भट्टियाँ लगातार विषैला धुँआ छोड़ते रहते हैं,
जिनमें कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जैसी गैसे होती है जो मनुष्य के लिए बहुत ही हानिकारक होती हैं
तथा मनुष्य को स्वाँस तथा हृदय सम्बन्धी बीमारियों का सामना करना पड़ता है इसके साथ ही साथ पशु पक्षी हजारों की संख्या में वायु प्रदूषण की चपेट में आकर मर जाते हैं।
जल प्रदूषण- संपूर्ण पृथ्वी पर जल ही एक ऐसा पदार्थ है जो सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। सम्पूर्ण जल में से लगभग 97% जल महासागरों में पाया जाता है
तथा पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल के भाग में से केवल 1 % जल का ही उपयोग प्राणियों के द्वारा किया जाता है और वह जल भी आज प्रदूषित हो चुका है।
बड़े-बड़े कारखानों से निकला हुआ मल सीधा नालों में जाता है और नालों के द्वारा नदियों में डाल दिया जाता है तथा यह नदियों का जल पीने के काम में आता है
जिसे पशु तथा मनुष्यों द्वारा पिया जाता है जिससे मनुष्य पीलिया (Jaundice) पेचिस (Dysentry) हैजा (Cholera) आदि रोगों का शिकार हो जाता है।
रासायनिक प्रदूषण (Chemical pollution) - रासायनिक प्रदूषण भी आज दिन-प्रतिदिन लगातार बढ़ता जा रहा है,
जिसके परिणाम आज हमारे सामने हैं आज के समय में रासायनिक खाद (Chemical fertilizer) कीटनाशक दवा (Pest control medicine) आदि का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में खेतों में किया जा रहा है
इसके साथ ही साथ रासायनिक प्रदूषण में प्रयोग की जाने वाली रेडियोएक्टिव पेंटिंग (Radioactive painting) रासायनिक प्रदूषण का मुख्य कारण है क्योंकि इससे कई प्रकार की हानिकारक
किरणे अल्फा (Alpha,) बीटा (Beta) गामा (gamma) निकलती है और सीधे मनुष्य के शरीर पर बिना किसी अवरोध के प्रवेश कर जाती हैं और भयंकर रोगों को उत्पन्न कर देती हैं|
ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) - बढ़ते हुए औद्योगिकरण (Industrialization) मशीनीकरण (Mechanization) के कारण आज प्रत्येक क्षण व्यक्ति का जीवन शोर के बीच में ही प्रतीत हो रहा है। बड़े-बड़े नगरों में कारखाने स्थापित होने के कारण प्राणी
अनेक प्रकार के स्नायुतंत्र संबंधी बीमारियों से ग्रसित रहते हैं। मोटर, गाड़ी, बस, ट्रक आदि ने भी बड़े भयंकर आवाज करने वाले हॉर्न का प्रयोग किया जा रहा है, जो मनुष्य की बीमारियों का कारण बन रहे हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के दुष्परिणाम Bad effects of environmental pollution
पर्यावरण प्रदूषण के अनेक दुष्परिणाम है, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्न प्रकार से हैं:-
जनसंख्या पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण है, बढ़ती हुई जनसंख्या गरीबी (Poverty) को जन्म देती है और गरीबी प्रदूषण को न्योता देती है, जिसके कारक विभिन्न प्रकार के दुष्परिणाम सामने प्रकट हो रहे है।
बच्चे तथा जवान लोग पर्यावरण प्रदूषण की चपेट में आकर समय से पहले ही मृत्यु के ग्रास में समा जाते है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण मनुष्य की रोगप्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कम होती जा रही है, जिससे प्रतिदिन लाखों लोग गंभीर बीमारियों (Fatal desease) की चपेट में आ रहे है।
वायु प्रदूषण के कारण साँस सम्बन्धी बीमारियाँ उत्पन्न हो रही है, संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल 70 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण से ही हो जाती है, जबकि भारत में हर साल 24 लाख विश्व का 30 % लोगों की मौत का कारण प्रदूषण है।
रासायनिक कचरा जल में प्रवाहित कर देने से डायरिया, हैजा पेचिस आदि परिणाम सामने आ रहे है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण पेड़ - पौधे जीव जंतुओ की प्रजातियाँ भी लुप्त होती जा रही है।
आज के समय तो पर्यावरण प्रदूषण इतना बढ़ गया कि सभी खाने पीने की वस्तुएँ प्रदूषित ही मिल रही है। जिनका सेवन करने से मनुष्य गंभीर रोगों से जूझता रहता है।
हार्टअटैक, डिप्रेशन बहरापन तपेदिक कैंसर जैसी कई बीमारियाँ पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम है जिनके कारण मनुष्य समय से पहले ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर जाता है।
पर्यावरण प्रदूषण का निवारण Solution Of Environmental Pollution
अगर मनुष्य जाति के अस्तित्व को कायम करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको स्वयं ही पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए। हमें उन क्रियाकलापों को नहीं करना चाहिए जिससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता हो और
साथ ही साथ हमें दूसरों को भी समझाना चाहिए कि पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए कदम उठाएँ कचरा हमेशा डस्टबिन (Dustbin) में ही डालें प्राकृतिक ईंधन का उपयोग करें
रासायनिक कचरा कीटनाशक दवाओं का बहुत ही कम उपयोग करें इसके साथ ही साथ सरकार को भी पर्यावरण प्रदूषण के क्षेत्र में काम करना चाहिए और इसका दृढ़ता से पालन भी करवाना चाहिए।
जो कारखाने स्थापित हो चुके हैं उन कारखानों की चिमनियों को और ऊँचा कर देना चाहिए। बड़ी-बड़ी कंपनियों को शहर से दूर स्थापित किया जाना चाहिए
इसके आसपास बहुत अधिक मात्रा में वृक्ष लगाना चाहिए। शोर उत्पादक कंपनियों में कर्णबंधकों (eardrums) का उपयोग किया जाना चाहिए।
मशीनों में साइलेंसर (Silencer) लगाने चाहिए कंपनियों से निकला हुआ रासायनिक कचरा खेत में गड्ढे में गाड़ देना चाहिए और उसके पानी को खेत में एक बड़े गड्ढे में ही छोड़ना चाहिए
या उसका उपचार करना चाहिए। नदी नालों में किसी भी प्रकार का कचरा नहीं फेंकना चाहिए अगर ऐसा आप सभी करते हैं तो हम पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण कर पाएंगे।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 Environmental Conservation act 1986
पर्यावरण प्रदूषण कि इस भयंकर समस्या को रोकने के लिए भारत सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (Environment Protection Act) 23 मई 1986 में पारित किया जिसे
कई संशोधनों के पश्चात 19 नवंबर 1986 को लागू कर दिया गया जिसमें पर्यावरण प्रदूषण की भयंकर स्थिति से निपटने के लिए चार अध्याय तथा 29 धाराएँ हैं।
इस पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 की कुछ मुख्य बाते
- खतरनाक रासायनिक कंपनियों को स्पष्टकर दिया की रासायनिक उत्पादन करने वाली कंपनियाँ कचरे का निपटारा स्वयं करें तथा पर्यावरण एक्ट का पालन करें।
- उन कंपनियों को हिदायत दी गई जिन कंपनियों से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता उन कंपनियों को दण्डित करने का भी प्रावधान है।
- केंद्र सरकार को उन खतरनाक रासायनिक उधोगों को बंद करने की शक्ति प्रदान की गयी
- जो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का पालन नहीं करते है। उधोगों, सरकारी उधोगों, सरकारी विभागों के साथ व्यक्तियों को भी यह हिदायत दी गयी की वे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का पालन करें।
उपसंहार Conclusion
ऐसा कहा जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विज्ञान की देन है और विज्ञान ने ही समस्त प्राणियों को मौत के मुंह में धकेलने के लिए पूरी तैयारी भी कर दी है किंतु अभी भी हमारे पास समय है
अगर समय रहते हुए हमने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण पा लिया तो मनुष्य जाति के अस्तित्व (Existence of mankind) को बचा पाएंगे साथ ही साथ हम अन्य प्राणियों को भी बचा पाएंगे
अगर आप चाहते हैं कि हमारी पृथ्वी (Earth) भी हमेशा हरी भरी रहे हमारी पृथ्वी पर हमेशा जीवन फलता फूलता रहे तो हमें पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण पाना होगा।
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