जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10 biography of Jaishankar Prasad class 10th in Hindi
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दोस्तों इस लेख में आप जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10 और कक्षा 9 के विद्यार्थियों के लिए लिखने का आइडिया ले सकते हैं।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय यहाँ पर बहुत ही सरल भाषा में लिखने का प्रयास किया गया है। साथ ही जयशंकर प्रसाद के जीवन परिचय में
उनकी सभी रचनाएँ तथा अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में भी जानकारी दी गई है। तो दोस्तों आइए शुरू करते हैं यह लेख जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10:-
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय biography of Jaishankar Prasad
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10-छायावादी युग के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के शहर वाराणसी में एक प्रसिद्ध साहू समृद्ध और विख्यात परिवार में 30 जनवरी 1890 मैं हुआ था।
इनके पिता जी का नाम बाबू देवी प्रसाद था। जो बड़े ही दयालु और कृपालु इंसान थे, तथा गरीबों और दीन दुखियों को अवश्य दान दिया करते थे।
जबकि इनकी माता जी का नाम मुन्नी बाई था। जय शंकर प्रसाद के पिताजी का निधन उस समय हो गया था, जब जयशंकर प्रसाद मात्र 11 वर्ष के थे
और इसके पश्चात 15 वर्ष की आयु आने पर उनकी माताजी भी उन्हें छोड़कर हमेशा के लिए स्वर्ग सिधार गई।
और उन पर मुसीबतों का पहाड़ उस समय टूट पड़ा जब इनके बड़े भाई संभू रत्न का निधन जब जयशंकर प्रसाद 17 वर्ष के थे हो गया।
अब इनके ऊपर ही घर का सभी प्रकार का खर्च का जिम्मा था और घर में भाभी तथा उनके बच्चे भी थे। फिर भी जयशंकर प्रसाद ने बड़े साहस से इन सभी मुसीबतों का सामना किया।
जयशंकर प्रसाद की प्रारंभिक पढ़ाई वाराणसी में ही संपन्न हुई, किंतु उन्होंने हिंदी और संस्कृत का अध्ययन घर पर रहकर ही किया उनके प्रारंभिक शिक्षक मोहिनी लाल गुप्त थे।
जिनकी प्रेरणा से उन्होंने संस्कृत में पारंगत हासिल कर ली। जयशंकर प्रसाद का पहला विवाह विध्वंसनीदेवी के साथ 1908 में हुआ था।
किंतु इनकी पत्नी को क्षय रोग हो गया और उनकी मृत्यु हो गई। और फिर उनका दूसरा विवाह 1917 में सरस्वती देवी से हुआ किंतु वह भी क्षय रोग के कारण ही जल्द ही चल बसी।
अब जयशंकर प्रसाद की इच्छा विवाह करने की नहीं थी किंतु उन्हें अपनी भाभी के लिए तीसरा विवाह कमला देवी के साथ करना पड़ा और उनसे उन्हें एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिनका नाम था रतन शंकर प्रसाद।
अपने अंतिम समय में जयशंकर प्रसाद भी क्षय रोग से ग्रस्त हो गए और 1936 में परमात्मा में विलीन हो गए।
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ compositions of Jaishankar Prasad
जयशंकर प्रसाद जी एक श्रेष्ठ नाटककार निबंधकार और आलोचक थे। जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं निम्न प्रकार से हैं:-
काव्य संग्रह -
प्रेम पथिक 1909, करुणालय 1913,महाराणा का महत्व 1914,चित्र आधार 1918, झरना 1918, आँसू 1924,लहर 1934, कामायनी 1936, जयशंकर प्रसाद के प्रमुख काव्य संग्रह हैं
कहानी संग्रह
छाया 1912, प्रतिध्वनि 1926,आकाशदीप 1929,आंधी 1931, इंद्रजाल 1936आदि कहानी संग्रह जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित हैं
उपन्यास
कंकाल 1929, तितली 1934, इरावती 1938 आदि प्रमुख उपन्यास जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखे गए हैं।
नाटक
सज्जन 1910, कल्याणी 1912, प्रश्चित 1914, राज्यश्री 1915, विशाख 1921,अजातशत्रु 1922, जन्मेजय का नाग यज्ञ 1926,
कामना 1927, स्कन्दगुप्त 1928, चन्द्रगुप्त 1931 आदि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक है।
भाव पक्ष - जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10
जयशंकर प्रसाद जी का काव्य प्रेम सौंदर्य और करुणा से भरा हुआ है। जयशंकर प्रसाद जी ने नारी और प्रकृति का मूल्यांकन नए दृष्टिकोण से किया है।
उन्होंने नारी जीवन की प्रेरणा दी है, तो प्रकृति जीवन के लिए विश्वास बौद्ध साहित्य से करुणा वेदांत से विराट चेतना ग्रहण कर शिव तत्व की आराधना से आनंदवाद का संदेश जयशंकर प्रसाद जी ने ही दिया है।
जयशंकर प्रसाद की रचनाओं में दर्शन प्रकृति चित्रण धर्म आदि का रहस्यमयी स्वाद भी देखने को मिलता है।
कला पक्ष - जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10
जयशंकर प्रसाद ने अपनी आरंभिक रचनाओं में बृज भाषा का प्रयोग किया इसके बाद सभी रचनाओं में उन्होंने खड़ी बोली का प्रयोग किया है।
उनकी भाषा में तत्सम शब्दों का बाहुल्य देखने को मिलता है, तो छायावादी भाषा में ओज गुणों की प्रधानता भी है, उनकी रचनाएँ भावों से भरी और रस अनुकूल है।
छायावादी कवि होने के नाते देसी अलंकारों के साथ विदेशी अलंकारों मानवीकरण, विशेषण के साथ छंदो की प्रधानता भी इनके काव्य में देखने को मिलती है।
जयशंकर प्रसाद जी की शैली गीतात्मक है, और मात्रिक छंद का भी उन्होंने अधिक प्रयोग किया है।
साहित्य में स्थान
जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रसिद्ध नाटककार, उपन्यासकार और कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं।
उन्होंने छायावाद में अपना अमूल्य योगदान देकर उसे एक उत्तम स्थान पर पहुंचाने का कार्य किया है. उनके काव्य में ऐसा चमत्कार देखने को मिलता है,
कि व्यक्ति अपनी सुध बुध खो देता है। इसलिए जयशंकर प्रसाद जी का साहित्य में एक सबसे महत्वपूर्ण स्थान है।
दोस्तों इस लेख में आपने जयशंकर प्रसाद जी का जीवन परिचय कक्षा 10 (Biography of Jsyshankar Prasad) पढ़ा आशा करता हूँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।
Nice
जवाब देंहटाएंAlim malik
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएं10
हटाएंJnm
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