शनिचरा मंदिर मुरैना मध्यप्रदेश Shanichara temple morena (M.P.)
हैलो दोस्तों इस लेख शनिचरा मंदिर मुरैना (Shanichara temple morena) में आपका बहुत-बहुत स्वागत है।
आज हम आपको मुरैना जिला के ग्राम ऐंती के प्राचीन शनिचरा मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यहाँ के चमत्कारों के बारे में सुनकर आपके मन में भी इस स्थान को देखने की लालसा अवश्य उत्पन्न हो जाएगी।
शनिचरा मंदिर मुरैना ग्वालियर मध्यप्रदेश Shanichara temple
शनिचरा मंदिर मुरैना एक पौराणिक प्राचीनकालीन मंदिर है। जिसके चर्चे ना कि भारत देश मे बल्कि विदेशों में भी है, क्योंकि यहाँ पर भारत देश के सभी राज्यों के साथ विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु आते रहते हैं
तथा अपनी मुराद पूरी करते है। यहाँ के प्राचीन मंदिर को देखकर लोग आश्चर्यचकित तथा शनि महाराज के चमत्कारों को जानकार हैरान हो जाते हैं।
शनि महाराज का प्राचीन मंदिर मुरैना जिले के ग्राम ऐंती में पहाड़ियों पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यह रामायण काल का स्थान है
क्योंकि ऐतिहासिक और पौराणिक ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि रावण की कैद से मुक्त होने के बाद हनुमान जी ने शनि महाराज को यही छोड़ा था जिसका देखने के लिए वहाँ पर प्रमाण भी उपलब्ध है।
शनिचरा मंदिर मुरैना कैसे पहुंचे How to reach
शनिचरा मंदिर पहुँचने के लिए आप बस, ट्रेन तथा हवाई रूट के द्वारा पहुँच सकते हैं।
बस स्टैंड मुरैना Bus stand Morena
शनिचरा पहुँचने के लिए आपका सबसे नियरेस्ट बस स्टैंड मुरैना है। मुरैना से शनिचरा की दूरी मात्र 29 किलोमीटर है। मुरैना से आप बानमोर होते हुए शनिचरा बस के द्वारा पहुँच सकते हैं।
बस स्टैंड ग्वालियर Bus stand Gwalior
ग्वालियर से शनिचरा मंदिर की दूरी मात्र 22 किलोमीटर है। यहाँ से भी आप बस के द्वारा बानमोर के रास्ते शनिचरा बहुत ही कम समय में पहुँच सकते हैं।
ग्वालियर एयरपोर्ट Airport Gwalior
शनिचरा के सबसे पास में एयरपोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट (Gwalior airport) है। इसकी दूरी शनिचरा मंदिर से मात्र 20 किलोमीटर है। यहाँ से आप अंतर्देशीय सभी प्रकार की उड़ानें भर सकते हैं।
शनिचरा मंदिर मुरैना के बारे में About shanichara temple Morena
मुरैना जिले के ग्राम ऐंती में शनिचरा मंदिर का प्रशासन मध्यप्रदेश शासन धार्मिक न्यास तथा धर्मस्व विभाग के अंतर्गत आता है,
तथा इस मंदिर को एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहाँ पर हजारों और लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं।
शनिचरा मंदिर में भारत के सभी राज्यों के साथ-साथ श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड के भी श्रद्धालु आते हैं।
अमावस्या के दिन यहाँ विशेष मेले का आयोजन भी किया जाता है तथा श्रद्धालु अपने मन की मुरादे पूरी करते हैं।
यहाँ यात्रियों को सुविधाओं के लिए धर्मशालाएँ, स्नान ग्रह, ओडोटोरियम (Audotorium) पानी की व्यवस्था, आध्यात्मिक केंद्र तथा अन्य योजनाओं पर विचार हो रहा है और इसे एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है,
जिससे आने वाले विदेशी देशी यात्रियों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े इसके साथ ही मुरैना जिला आर्थिक सामाजिक विकास का केंद्र भी बनेगा।
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कहानी शनिचरा मंदिर मुरैना Story of shanichara temple Morena
शनि देव की महिमा बड़ी ही अपरंपार है, अगर वह किसी पर कृपालु हो जाएँ तो उसके सोए हुये भाग्य जाग जाते हैं और किंतु अगर किसी पर क्रोधित हो जाए तो वह घर का ना घाट का कहीं का नहीं रहता है
इसलिए बहुत से लोग तो उनकी डर कर पूजा करते हैं लेकिन कुछ लोग आस्था से उनकी पूजा करते हैं। भारत में शनि देव के ऐसे कई पौराणिक कालीन स्थल है
जिनके बारे में चर्चा सुनकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे इनमें से ही एक शनि मंदिर है "मुरैना जिले के ग्राम ऐंती में" यहाँ के शनिदेव पूरे देश के साथ-साथ आसपास के देशों में भी प्रसिद्ध है
क्योंकि कहा जाता है कि यहाँ पर ही हनुमान जी ने रावण से मुक्त किए शनि देव को विश्राम के लिए छोड़ा था
जहाँ पर आज उनके गिरने से बना खड्डा भी देखने को मिलता है लेकिन वैज्ञानिक तथा पुरातत्व विभाग ने खोज के पश्चात ने बताया कि यह जो खड्डा हुआ वह उल्का पिंड के गिरने से हुआ है
लेकिन यहाँ शनि देव की महिमा बड़ी अपरंपार है जो भी उनका तेल से अभिषेक करता है वह सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है और लाखों लोगो में यही आस्था है, कि यहाँ साक्षात् शनिदेव ही विराजमान हैं।
शनिदेव के चमत्कार से साक्षात्कार होने पर ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
रावण की कैद से शनिदेव को हनुमान ने छुड़ाया Hanuman shanidev story
पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है, कि जब राम और रावण युद्ध चल रहा था तथा रावण के सभी महारथी एक-एक करके मृत्युलोक को चले गए थे।
तब रावण ने अपनी मृत्यु के भय के कारण सभी ग्रह नक्षत्रों को बंदी बना लिया
जिनमें शनिदेव भी थे इस प्रकार रावण की मृत्यु असंभव हो गई थी, तब भगवान श्री राम को बताया गया कि सभी ग्रह नक्षत्रों को रावण ने बंदी बना लिया है अतः उसकी मृत्यु असंभव है
तब भगवान श्री राम की आज्ञा पाकर हनुमान जी ने सभी ग्रह नक्षत्रों को रावण के चंगुल से छुड़ाया लंबे समय से कैद होने के कारण शनिदेव काफी कमजोर हो चुके थे
इसकारण हनुमान जी ने शनिदेव को जिला मुरैना ग्राम ऐंती में एक पर्वत पर सुरक्षित स्थान देखकर विश्राम के लिए छोड़ दिया था उसी पर्वत को आज शनि पर्वत कहा जाता है।
Note - दोस्तों आपने इस लेख में शनिचरा मंदिर मुरैना (Shanichara temple gwalior) के बारे में पड़ा आशा करता हुँ यह लेख आपको अच्छा लगा होगा इसे शेयर अवश्य करें।
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