महावीर स्वामी पर निबंध Essay on Mahavir Swami in Hindi

महावीर स्वामी पर निबंध Essay on Mahavir Swami in Hindi 

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महावीर स्वामी के बारे में कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में जान पायेंगे। तो आइये दोस्तों पढ़ते है, यह लेख महावीर स्वामी पर लेख महावीर स्वामी पर निबंध:-

महावीर स्वामी पर निबंध

महावीर स्वामी कौन थे who was Mahavir Swami 

भारतवर्ष में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है, जो अपने ज्ञान,कर्म,धर्म तथा परोपकार के लिए हमेशा जाने जाते हैं। उन्हीं महापुरुषों में से एक महापुरुष थे।

महावीर स्वामी, जिनका वास्तविक नाम वर्धमान था। महावीर स्वामी जैनों के 24 वे तीर्थंकर थे। महावीर स्वामी ने राज्य को छोड़कर एक सन्यासी का जीवन बिताया तथा

कठिन परिश्रम करने के पश्चात कैवल्य सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त हुआ और वह इंद्रियों को जीतने के कारण जिन कहलाए। महावीर स्वामी की शिक्षा तथा उद्देश्य जैन ग्रंथों में लोगों के लिए पथ प्रदर्शक तथा ज्ञान के स्रोत हैं।

महावीर स्वामी पर निबंध

महावीर स्वामी का जन्म Birth of Mahaveer Swami 

जैन धर्म के 24वें तीर्थकर तथा प्रवर्तक महावीर स्वामी का जन्म 540 ईसवी पूर्व में वैशाली के निकट एक स्थान कुंडग्राम में हुआ था। महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था।

महावीर स्वामी के पिता का नाम महाराज सिद्धार्थ था जो इक्ष्वाकु वंश (Ekshvaku dynesty) के राजा थे. जबकि उनकी माता का नाम त्रिशला देवी था।

त्रिशला लिच्छवी नामक शासक चेटक की बहन थी। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे। पार्श्वनाथ के मोक्ष प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद महावीर स्वामी का जन्म हुआ था।

महावीर स्वामी का वर्धमान नाम उनके राज्य में उन्नति होने के कारण रखा गया था। जैन ग्रंथ में महावीर स्वामी के 5 नामों का उल्लेख है, जो वर्धमान,वीर,अतिवीर, महावीर,तथा समिति है।

इन पांचों नामों के साथ कोई ना कोई कथा जुड़ी हुई है। जैसे की महावीर स्वामी का नाम महावीर एक सर्प तथा हाथी को वश में करने के उपरांत पड़ा।

महावीर स्वामी का जीवन Life of Mahaveer svami 

महावीर स्वामी का प्रारंभिक जीवन माता- पिता की छत्रछाया में व्यतीत हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा एक राजकुमार की भांति हुई।

किंतु महावीर के मन में वैराग्य बचपन से ही जाग गया था। इसलिए महावीर सन्यासी बनना चाहते थे। किंतु युवा अवस्था होने पर महावीर ने ना चाहते हुए

अपने पिता महाराज सिद्धार्थ की आज्ञा पर श्वेतांबर संप्रदाय के अनुसार सुकन्या यशोदा के साथ विवाह कर लिया। विवाह के उपरांत यशोदा के गर्भ से एक पुत्री का जन्म हुआ, जिसका नाम था प्रियदर्शना

किंतु महावीर स्वामी का मन भोग विलास सुख और ऐश्वर्य में नहीं लगता था और उन्होंने 30 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग दिया तथा सन्यासी हो गए।

महावीर स्वामी बहुत दिनों तक जंगलों में यहाँ वहाँ भटकते रहे। किंतु अंत में 12 वर्षों की कठिन तपस्या के पश्चात दिगंबर स्वरूप में ही उन्हें ऋजुपालिका नदी के तट पर जरम्भिक नामक गांव में

सर्वोच्च ज्ञान केवल्य प्राप्त हुआ। अपनी इंद्रियों को जीतने के कारण वे जिन कहलाये। महावीर स्वामी की कठोर तपस्या की चर्चा जैन ग्रंथ कल्पसूत्र और आचारागसूत्र में मिलती है।

जैन धर्म और सिद्धांत Jainism and doctrine 

महावीर स्वामी को जैन धर्म ग्रंथों में संस्थापक नहीं बल्कि प्रवर्तक कहा गया है। महावीर स्वामी ने पांच आर्य सत्यों में से एक आर्य सत्य ब्रह्मचर्य जोड़ा है।

चार आर्य सत्य पहले से ही मौजूद थे। इसलिए अब आर्य सत्यों की संख्या 5 हो गई है।

  1. अहिंसा - महावीर स्वामी कहते हैं,कि संसार में जितने भी प्राणी हैं। उनको कष्ट ना दो उन्हें ना मारो उन्हें उनके रास्ते जाने दो।
  2. सत्य - महावीर स्वामी कहते हैं,कि मनुष्य को सत्य को सच्चा तत्व समझना चाहिए। क्योंकि जो सत्य के साथ रहता है, वह मृत्यु को भी तैयार कर पार कर सकता है।
  3. अपरिग्रह - महावीर स्वामी कहते हैं, कि हमें आवश्यकता से अधिक चीजों का संग्रह नहीं करना चाहिए, जो भी व्यक्ति आवश्यकता से अधिक चीजों का संग्रह करता है वह दुखों से कभी भी मुक्त नहीं हो सकता।
  4. अचौर्य - महावीर स्वामी कहते हैं,किसी दूसरे की वस्तु उसकी आज्ञा के बिना ना लो अगर आप उसके आज्ञा के बिना कोई भी वस्तु लेते हैं, तो उसे चोरी माना जाता है।
  5. ब्रह्मचर्य - महावीर स्वामी ने ब्रम्हचर्य को मोक्ष का साधन बताया है और कहा है, जो भी व्यक्ति मन,नियम और सिद्धांत,ज्ञान के साथ ब्रह्मचार्य में रहता है, वह अवश्य मोक्ष प्राप्त करता है।

इन पांचो सिद्धांतो पर जो व्यक्ति चलता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। जैन धर्म में आठ कर्म ज्ञानवरण, दर्शनवरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय और अठ्ठारह पापों की चर्चा मिलती है।

जैन धर्म के त्रिरत्न सत्य विश्वास (सम्यक दर्शन ) सत्य ज्ञान (सम्यक ज्ञान ) सत्य कर्म (सम्यक कर्म ) है, जो मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक होते है।

महावीर स्वामी ने अपने सभी अनुयायियों को 11 गणों में बाँट दिया था। प्रत्येक गण का एक प्रधान था। जिसको गणधर कहते थे। धर्म प्रचार का पूरा उत्तरदायित्व इन्ही पर होता था।

संघ के सदस्यों के चार वर्ग थे भिक्षु,भिक्षुणी जो सन्यासी तथा श्रावक, श्रावकी ग्रहस्थ जीवन जीते थे। जैन धर्म के दो संप्रदाय थे दिगंबर जो निर्वस्त्र दुसरे श्वेताम्बर जो श्वेत वस्त्र पहना करते थे।

महावीर स्वामी के उपदेश शिक्षा Teachings of Mahavir Swami

महावीर स्वामी ने अपना पहला उपदेश अर्धमागधी भाषा (Ardhmagdhi Language) में बिहार राजग्रह (Rajgrih) में दिया था। 

महावीर स्वामी ने सत्य अहिंसा की शिक्षा (Education) देते हुए कहा,कि संसार के किसी भी जीव की हत्या नहीं करना चाहिए।

जैन धर्म में पशु पक्षी पेड़ पौधों को नष्ट ना करने का संदेश दिया है। महावीर स्वामी ने भी जियो और जीने दो का का संदेश जन-जन तक पहुंचाया है।

जैन धर्म में अहिंसा और कर्मों को सर्वोपरि माना है। महावीर स्वामी ने ही संसार के सभी लोगों को सत्य अहिंसा अपरिग्रह जैसे 5 सिद्धांतों के आधार पर उन्हें सही राह पर चलने की शिक्षा दी है।

महावीर स्वामी ने संसार के लोगों में उत्पन्न होने वाले हिंसक विचार,अमानवीय व्यवहार,निर्दयीपन जैसे बुरे दूरविचारों को दूर करने की कोशिश की है।

महावीर स्वामी के उपदेश बेहद सरल भाषा में हुआ करते थे। जिन्हें लोग आसानी से समझ लेते थे। महावीर स्वामी के उपदेशों के प्रभाव में आकर बहुत से राजाओं ने जैन धर्म को अपनाया

और उनके सिद्धांतों (Principle) पर चलने की कोशिश भी की। आज विश्व के कई भागों में जैन धर्म (Jainism) के अनुयायी है।

महावीर स्वामी की मृत्यु Death of Mahavir Swami

महावीर स्वामी 72 वर्ष की आयु में 468 ईसवी पूर्व पावापुरी में राजा हस्पताल के महल में मृत्यु शैया पर सदा सदा के लिए सो गए थे।

महावीर स्वामी के धर्म प्रचार के कारण बहुत से राजाओं ने जैसे - उदयन, चंद्रगुप्त मौर्य संप्राप्ति, कलिंग नरेश खारवेल, राष्ट्रकूट शासक अमोधवर्ष से गुजरात के सोलंकी आदि प्रमुख थे। 

दोस्तो इस लेख में आपने महावीर स्वामी पर निबंध (Essay on Mahavir swami) पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

  • FAQ for Mahavir swami

Q.1. जैन धर्म के मुख्य देवता कौन है?

Ans. जैन धर्म के मुख्य देवता महावीर स्वामी है।

Q.2. जैन धर्म की भाषा क्या है?

Ans जैन धर्म की भाषा प्राकृत भाषा है।

Q.3. भगवान महावीर की मृत्यु कब हुई थी?

Ans. महावीर स्वामी की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 468 ईस्वी पूर्व पावापुरी में राजा हस्पताल के महल में हुई थी।

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