महाकवि कालिदास का जीवन परिचय Mahakavi kalidas ka jivan parichay 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख महाकवि कालिदास का जीवन परिचय हिंदी (Mahakavi Kalidas ka jivan parichay) में।

दोस्तों आज इस लेख में आप संस्कृत भाषा के महाकवि और नाटककार कालिदास का जीवन परिचय जानेंगे। उनकी उपलब्धियों के कारण

महाकवि कालिदास को भारत का शेक्सपियर के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए दोस्तों करते हैं, आज का यह लेख शुरू महाकवि कालिदास का जीवन परिचय:-

महाकवि कालिदास का जीवन परिचय


महाकवि कालिदास कौन थे Mahakavi kalidas kon the 

महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि नाटककर तथा दार्शनिक थे, जिन्होंने गुप्त काल में विभिन्न प्रकार की प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी।

महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा को रचनाएँ देने के कारण संपूर्ण विश्व में जाने जाते हैं तथा उन्हें भारत का शेक्सपियर के नाम से पुकारा जाता है।

महाकवि कालिदास गुप्त साम्राज्य के चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के राज दरबार में राजकवि हुआ करते थे। महाकवि कालिदास जी ने अपनी रचनाओं में भारतीय दर्शन के मूल तत्व को प्रदर्शित किया है।

उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएँ भारतीय संस्कृत साहित्य को प्रदान की है। महाकवि कालिदास का विवाह राजकुमारी विद्योत्तमा से हुआ था, जो संस्कृत की प्रकांड विदुषी थी।


महाकवि कालिदास का जीवन परिचय


महाकवि कालिदास का जन्म Mahakavi kalidas ka janm 

भारत के प्रसिद्ध शेक्सपियर महाकवि कालिदास के जन्म के बारे में ठीक प्रकार से ज्ञात नहीं है। यह भी ज्ञात नहीं है, कि महाकवि कालिदास का

जन्म स्थान कौन सा है, कियोकि महाकवि कालिदास के जन्म स्थान के बारे में विभिन्न प्रकार के विद्वानों ने अपने- अपने विभिन्न मत दिए हैं

किंतु सभी वैज्ञानिक एक ही मत पर एकमत नहीं हो पाए। महाकवि कालिदास का उज्जैन के प्रति अधिक लगाव रहा है, इसलिए बहुत से विद्वान महाकवि कालिदास का जन्म उज्जैन में हुआ था ऐसा मानते है।

लम्बे समय के बाद कई साहित्यकारों ने एकमत होकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया है, कि कालिदास का जन्म भारत के राज्य

उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था, किन्तु प्रमाण के साथ उनके जन्म स्थान का दावा अभी तक नहीं किया गया।


महाकवि कालिदास की शिक्षा Mahakavi kalidas ki shiksha 

महाकवि कालिदास वास्तव में अनपढ़ (Illiterate) थे, बचपन में उन्होंने किसी प्रकार की शिक्षा प्राप्त नहीं की, वे महामूर्ख थे।

एक प्रपंच के द्वारा महाकवि कालिदास का विवाह एक ज्ञानी स्त्री राजकुमारी विद्योत्तमा से हुआ। विवाह के बाद राजकुमारी को पता चला की कालिदास तो अनपढ़ और मूर्ख है, तो उन्होंने उसे घर से निकाल दिया।

और कहा एक विद्वान् बनकर ही घर वापस आना। कालिदास को बहुत बुरा लगा और वे माँ काली (Maa Kali) के मंदिर में उनकी भक्ति करने लगे।

उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ काली ने उन्हें विद्या का आशीर्वाद दिया और कालिदास (Kalidas) एक उच्च कोटि के विद्वान बने।

विद्वान बनकर वे अपने घर आकर अपनी पत्नी के साथ रहने लगे। इसप्रकार उन्हें ज्ञान माँ काली के आशीर्वाद के फलस्वरूप प्राप्त हुआ था। उसके बाद कालिदास के कई गुरु हुए और उनकी विद्वता में वृद्धि होती गई।


महाकवि कालिदास की रचनाएँ Mahakavi kalidas ki Rachnayen 

महाकवि कालिदास उच्च कोटि के विद्वान थे, जिन्हे ज्ञान स्वयं काली माँ द्वारा प्राप्त हुआ था। उन्होंने कई महाकाव्य, खंडकाव्य, नाटक तथा रचनाएँ की है, जिनमें से कुछ निम्नप्रकार है:-

  • महाकाव्य

  1. रधूवंशम - यह महाकाव्य रघुकुल के राजाओं की जीवन गाथा पर लिखा गया है, रघुकुल में कई महाप्रतापी राजा हुए उनमें से एक भगवान श्रीराम भी है।
  2. कुमारसम्भवम - यह महाकाव्य माँ पार्वती तथा भगवान शिव के जीवन सम्बन्धी घटनाओं से सम्बंधित है। इसमें माँ पार्वती तथा भगवान शिव से सम्बंधित कई घटनाओ का वर्णन है, जैसे की कार्तिकेय का जन्म आदि।

  • खंडकाव्य

  1. मेघदूत -मेघदूत मेघ से सम्बंधित घटनाओं से सम्बंधित है, इसमें मेध द्वारा यक्ष का सन्देश उसकी प्रियतमा तक ले जाने की प्रार्थना का वर्णन मिलता है। 
  2. ऋतुसंहार - ऋतुसंहार में समस्त ऋतुओं का वर्णन है, सभी ऋतुओं में होने वाले परिवर्तन का अमोद - विनोद वर्णन यहाँ मिलता है।

  • नाटक

  1. मालविकाग्निमित्रम् -  मालविकाग्निमित्रम् शुंग वंश के शासक अग्निमित्र के जीवन से संबंधित एक घटना है। इसमें अग्निमित्र मालविका नामक कन्या के चित्र से प्रेम करने लगता है। और मालविका एक नौकर की कन्या थी। किंतु बाद में पता चलता है कि वह एक राजकुमारी थी। मालविकाग्निमित्रम् कालिदास का पहला नाटक है। 
  2. अभिज्ञान शाकुन्तलम् - अभिज्ञान शकुंतलम महाकवि कालिदास द्वारा लिखा गया एक नाटक है जो महाराज दुष्यंत और ऋषि विश्वामित्र कथा मेनका की पुत्री शकुंतला की प्रेम कहानी विवाह विछोह और मिलन की घटनाएँ है। 
  3. विक्रमोर्वशीयम् - कवि कालिदास के इस नाटक में स्वर्ग लोक की अप्सरा उर्वशी तथा पुरुरवा की प्रेम कहानी तथा इंद्र के श्राप का वर्णन मिलता है।

इसके बाद में महाकवि कालिदास की अन्य रचनाएँ है, कुल मिलाकर उन्होंने लगभग 40 प्रकार की रचनाएँ लिखी है। 

  • अन्य रचनाएँ 

  1. श्रुतबोधम्
  2. शृंगार तिलकम्
  3. शृंगार रसाशतम्
  4. सेतुकाव्यम्
  5. पुष्पबाण विलासम्
  6. श्यामा दंडकम्
  7. ज्योतिर्विद्याभरणम्

महाकवि कालिदास का भाव पक्ष Mahakavi kalidas ka bhav paksh 

महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा के एक महान विद्वान तथ प्रसिद्ध कवि थे, जिनका अधिकतर समय उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य के दरबार में बीता।

महाकवि कालिदास ने अपने काव्य को वीर महान पुरषों की जीवन से संबंधित घटनाओं के माध्यम से एक अलग दिशा दी। महाकवि कालिदास की मुख्यत: वीर पुरुषों के जीवन संबंधी घटनाओं पर आधारित है।

इसके साथ ही उन्होंने प्रकृति का अनुपम सौंदर्य का वर्णन भी अपनी रचनाओं में इस प्रकार से किया है, कि कोई भी उसे पढ़कर

आत्मविभोर हो जाए। महाकवि कालिदास ने प्रेम, विछोह, प्रकृतिचित्रण, द्वारा अद्भुत और अमूल्य रचनायें इस युग को प्रदान की है।


कवि कालिदास का कला पक्ष Mahakavi kalidas ka kala paksh 

महाकवि कालिदास को अपने काव्य पर विशेष सिद्धि प्राप्त हुई, इस कारण उनको कवि कुलगुरू, कविताकामिनीबिलास, भारत का सेक्सपियर, महाकवि आदि उपलब्धियों से अलंकृत किया गया है।

महाकवि कालिदास मूलतः संस्कृत भाषा के कवि है। कवि कालिदास की भाषा से श्रृंगार तथा प्रसाद गुण से ओतप्रोत है।

कवि कालिदास ने अपनी भाषा में शब्दालंकारों का प्रयोग किया है, जबकि उपमा अलंकार पर उन्हें विशेष सिद्धि प्राप्त है।

महाकवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में अलंकार और प्रसाद गुण से युक्त सहज सरल भाषा का प्रयोग इस प्रकार से किया है,

कि उनका काव्य जीवात्मा के समान लगता है। कवि कालिदास ने श्रृंगार रस का अद्भुत प्रयोग अपनी रचनाओं में करके प्रकृति का अनुपम चित्रण किया है।

ऋतुओं की व्याख्या के साथ ही महाकवि कालिदास की रचनाओं में आदर्शवादी परंपरा तथा नैतिक मूल्यों का भी समावेश मिलता है।


कालिदास का साहित्य में स्थान Kalidas ka sahitya me sthan 

महाकवि कालिदास मूलतः संस्कृत भाषा के कवि हैं, जिन्होंने कई नाटक, खंडकाव्य, महाकाव्य रचित किये है, इसलिए भारतीय साहित्यकारों के साथ विदेशी

साहित्यकारों में भी उनका एक महत्वपूर्ण स्थान है। महाकवि कालिदास को विदेशी कवि शेक्सपियर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।

भारतीय साहित्य के क्षेत्र में महाकवि कालिदास का नाम हमेशा आदर और सम्मान के साथ लिया जाएगा।

दोस्तों इस लेख में आपने महाकवि कालिदास का साहित्यिक जीवन परिचय (Mahakavi kalidas ka jivan parichay) पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

  • FAQ for Mahakavi Kalidas

Q.1.कालिदास का नया नाम क्या है?

Ans. कालिदास संस्कृत के महान कवि थे, जिनका नया नाम शेक्सपियर है।


Q.2. कालिदास के माता पिता का क्या नाम है?

Ans. कालिदास के माता पिता का उल्लेख कहीं भी नहीं है, इसलिए उनके माता - पिता के नाम ज्ञात नहीं है।


Q.3. कालिदास की पत्नी का नाम क्या है?

Ans. कालिदास की पत्नी का नाम विद्योत्तमा था जो एक विदुषी और राजकुमारी थी।

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