प्रोटोजोआ के कारण मलेरिया Malaria Caused by Protozoa

प्रोटोजोआ के कारण मलेरिया Malaria Caused by Protozoa 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख प्रोटोजोआ के कारण मलेरिया (Malaria Caused by Protozoa) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से

आप मलेरिया के प्रकार, प्लाज्मोडियम की प्रजातियों तथा मलेरिया ब्लड टेस्ट के बारे में जानेंगे। तो आइये दोस्तों करते है, यह लेख शुरू प्रोटोजोआ के कारण मलेरिया (Malaria Caused by Protozoa)

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प्रोटोजोआ के कारण मलेरिया

मलेरिया क्या है What is Malaria

मलेरिया एक प्रोटोजोआ (Protozoa) जनितरोग है, जो प्रमुख रूप से मादा ऐनाफिलीज मच्छर द्वारा फैलता है। इस रोग में व्यक्ति को थकान घबराहट, उल्टी, बुखार, दस्त आदि लक्षण उत्पन्न होते है

और अधिक खतरनाक मलेरिया होने पर व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है। मलेरिया के प्रोटोजोआ को प्लाज्मोडियम कहते है, जो अपना अलेंगिक चक्र स्तनधारी प्राणियों में जबकि लैंगिक चक्र मादा ऐनाफिलीज मच्छर में पूर्ण करता है।

प्रोटोजोआ के कारण मलेरिया
प्लाज्मोडियम की स्पोरोज्वाइट अवस्था 

प्रोटोजोआ के कारण मलेरिया Malaria Caused by Protozoa

मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम की जातियों के आधार पर निम्न चार प्रकार के होते है:-

प्लाज्मोडियम वाइवैक्स Plasmodium vivax

प्लाज्मोडियम वाइवैक्स (Plasmodium Vivax) प्रोटोजोआ प्लाज्मोडियम की ही एक जाति होती है जो वाइवैक्स मलेरिया उत्पन्न करने के लिए उत्तरदाई होता है। प्लाज्मोडियम वाइवैक्स प्रमुख रूप से कटिबंधीय, उपकटिबंधीय प्रदेशों और गर्म प्रदेशों में अधिक देखा जाता है।

प्लाज्मोडियम वाइवैक्स सामान्य बुखार उत्पन्न करने के लिए माना जाता है, इसमें 40 घंटे के बाद या लगभग प्रत्येक तीसरे दिन फीवर उत्पन्न हो जाता है। यह एक सामान्य कम घातक ज्वर माना जाता है, जिसके कारण मृत्यु दर बहुत कम होती है, 

क्योंकि इसमें खंडीभवन (रक्ताणु चक्र की अवधि) में 48 घंटे का समय लगता है और इसका उदभवन 8 से 12 दिन का होता है। प्लाज्मोडियम वाइवैक्स का प्रीपेंट काल (मलेरिया परजीवी का पोषक के शरीर में प्रवेश करने से शुरू होकर परजीवी की लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश करने का समय) 8 दिन होता है, जबकि लैगिक चक्र की अवधि 10 दिन की होती है।

प्लाज्मोडियम फैल्सीफेरम Plasmodium falciferum

प्लाज्मोडियम की यह प्रजाति भी विश्व के सभी कटिबंधीय उपकटिबंधीय और गर्म प्रदेशों में पायी जाती हैं, जो खतरनाक जानलेवा ज्वर उत्पन्न करने वाला प्रोटोजोआ रोग कारक होता है।

इस प्लाज्मोडियम के कारण बुखार हर समय बना रहता है और मृत्यु का खतरा अधिक रहता है। इस प्लाज्मोडियम के संक्रमण के कारण मृत्यु दर अधिक होती है। इसका प्रीपेंट काल 5 से 6 दिन

जबकि उदभवन काल 28 से 35 दिन तक का होता है जबकि प्लाज्मोडियम फैल्सीफेरम अपना एक लैंगिक चक्र (Sexual Cycle) पूरा करने में 10 से 12 दिन का समय लेता है।

प्लाज्मोडियम ओवेल Plasmodium ovale

प्लाज्मोडियम ओवेल प्लाज्मोडियम की तृतीय प्रजाति मानी जाती है, जो प्रमुख रूप से कटिबंधीय प्रदेशों अर्थात अफ्रीका के पश्चिमी देशों और दक्षिणी अमेरिका के कुछ देशों में देखने को मिलती है।

प्लाज्मोडियम की यह प्रजाति मामूली सा ज्वर उत्पन्न करती है, जिसका उद्भभवन काल 48 घंटे के आसपास का रहता है। प्लाज्मोडियम ओवेल का प्रीपेंट काल 9 दिन का जबकि यह एक लैंगिक चक्र पूरा करने में 16 दिन का समय लेता है।

प्लाज्मोडियम मलैरी Plasmodium malariae

प्लाज्मोडियम मलैरी (Plasmodium Malariae) प्लाज्मोडियम की चौथी प्रजाति है जो प्रमुख रूप से कटिबंधीय उपकटिबंधीय प्रदेशों में अर्थात सभी गर्म देशों में देखने को मिलती है।

प्रमुख रूप से इस परजीवी को अफ्रीका श्रीलंका भारत जैसे अन्य देशों में देखा जाता है। यह एक ऐसा परजीवी है, जो लगभग हर चौथे दिन में ज्वर उत्पन्न करता है अर्थात 72 घंटे के पश्चात यह मनुष्य में फीवर उत्पन्न करने के लिए उत्तरदाई माना जाता है।

इसका उदभवनकाल 28 से 35 दिन का प्रीपेंट काल 7 से 12 दिन का जबकि यह अपना एक लैंगिक चक्र को पूरा करने में 25 से 28 दिन का समय लेता है।

मलेरिया ब्लड टेस्ट नाम Malaria blood test name

मलेरिया रोग का पता लगाने के लिए मलेरिया का ब्लड टेस्ट किया जाता है। जिन क्षेत्रों में लोग मलेरिया के बारे में अधिक नहीं जानते हैं, मलेरिया परजीवी के बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी नहीं होती है,

उन क्षेत्रों में प्रमुख रूप से मलेरिया रैपिड एंटीजन टेस्ट (Malaria Rapid Antigen Test) किया जाता है। अर्थात इसमें एक किट होती है, जिसमें ब्लड की अर्थात रक्त के सैंपल की एक बूंद डाल दी जाती है तथा कुछ एंटीजन उसमें डाल देते हैं।

कुछ समय के पश्चात ही 30 से 50 सेकंड में किट की एक गहरी सी संरचना में लकीरें आ जाती है और इन्ही के आधार पर परिणाम दिया जाता है। किंतु यह प्रत्येक जगह मान्य नहीं होता है

और इससे प्राप्त किए गए परिणाम 100%  शुद्ध नहीं होते, जबकि इसके विपरीत बड़े-बड़े हॉस्पिटलस में बड़े-बड़े पैथोलॉजियों में पैथोलॉजिस्ट या सीनियर लैब टेक्नीशियन के द्वारा ब्लड सैंपल लेकर काँच की स्लाइड पर उसकी स्फीयर परत बनाते हैं

और उसका सूक्ष्मदर्शी (Microscopes) की सहायता से अध्ययन करते हैं, इसके पश्चात परीक्षण का रिजल्ट देते हैं। मलेरिया ब्लड टेस्ट का यह एक सर्वमान्य तथा प्रमाणिक तरीका होता है।

दोस्तों आपने इस लेख में मलेरिया के प्रकार (Type of Maleria In hindi) प्लाज्मोडियम के प्रकार, प्रजातियों के बारे में पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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