मलेरिया रोग के लक्षण क्या है तथा उपाय What Malaria Symptoms and Remedies

मलेरिया रोग के लक्षण क्या है तथा उपाय What Malaria Symptoms and Remedies 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख मलेरिया रोग के लक्षण क्या है, तथा उपाय में (What Malaria Symptoms and Remedies)।

दोस्तों इस लेख में आप मलेरिया रोग के प्रकार के साथ ही मलेरिया रोग के लक्षण और मलेरिया रोग से बचाव के बारे में जानेंगे। तो आइए दोस्तों करते हैं, आज का यह लेख शुरू मलेरिया रोग के लक्षण तथा उपाय:-

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मलेरिया रोग के लक्षण क्या है तथा उपाय

मलेरिया रोग के भेद Difference in malaria

मलेरिया रोग के कारक प्लाज्मोडियम की 4 प्रजातियाँ होती हैं, जिनका रूधिराणु चक्र का समय भी भिन्न-भिन्न होता है, अतः यहाँ पर मलेरिया के भेद निम्न प्रकार से बताए गए हैं:- 

  1. तृतीयक मलेरिया - तृतीयक मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम वाइबैक्स प्लाज्मोडियम फैल्सीफेरम और प्लाज्मोडियम ओबेल के कारण फैलता। इन प्लाज्मोडियम से पीड़ित व्यक्ति में 48 घंटे के बाद ही ज्वर उत्पन्न होता है, कियोकि इन तीनों प्लाज्मोडियम का विखंडीजनन का समय 48 घंटे होता है। 
  2. चतुर्थ मलेरिया - चतुर्थ मलेरिया का कारक प्लाज्मोडियम  मलैरी होता है, क्योंकि इसका विखंडीजनन का समय 72 घंटे है, अर्थात व्यक्ति को 3 दिन के उपरांत ज्वर उत्पन्न होगा।
  3. दैनिक मलेरिया - दैनिक मलेरिया वह स्थिति होती है, जब व्यक्ति के शरीर में एक से अधिक प्लाज्मोडियम की जातियों का संक्रमण हो जाता है, जिस कारण मलेरिया बिगड़ जाता है और व्यक्ति प्रतिदिन ज्वर से संक्रमित हो जाता है।
मलेरिया रोग के लक्षण क्या है तथा उपाय

मलेरिया रोग के लक्षण क्या है What Malaria Symptoms 

मलेरिया रोग के कारण मनुष्य को एनीमिया नामक रोग उत्पन्न हो जाता है, अर्थात मनुष्य के शरीर में रक्त की कमी लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है,

क्योंकि प्लाज्मोडियम की प्रजातियाँ अपना जीवन चक्र लाल रक्त कणिकाओं (Red Blood Cell) में ही पूरा करती हैं, इसलिए यह अधिक संख्या में लाल रक्त कणिकाओं को नष्ट कर देती हैं।

प्लाज्मोडियम के प्रभाव के कारण लाल रक्त कणिकाएँ शिथिल हो जाती हैं, फट जाती हैं, अर्थात नष्ट होने लगती हैं। प्लाज्मोडियम के कारण प्लीहा में लाइसोलेसोथिन नामक पदार्थ बनने लगता है,

जो लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है, इस कारण से मनुष्य के शरीर में रुधिर की कमी आ जाती है और मनुष्य एनीमिया नामक रोग से ग्रसित हो जाता है। जब प्लाज्मोडियम का प्रभाव लाल रक्त कणिकाओं पर पड़ता है,

तो अनिद्रा नामक रोग भी उत्पन्न होने लगता है, क्योंकि रक्त (Blood) की आपूर्ति मस्तिष्क (Brain) को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाती है।

जब शरीर में प्लाज्मोडियम फेल्सीफेरम परजीवी का प्रभाव होता है, तब स्थिति बहुत ही खतरनाक हो जाती है, क्योंकि यह थ्रोम्बोसिस (Thrombosis) नामक स्थिति उत्पन्न करता है जिसमें रक्त प्रवाह Blood Cerculation रुक जाता है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

मलेरिया ज्वर Malaria Fever में मनुष्य को बुखार Fever कपकपी के साथ ठंड लगना, शरीर दुर्बल हो जाना, पीला पड़ जाना, सिर दर्द थकावट, अनिद्रा, चक्कर आना, उल्टी होना भूख ना लगना कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।

मलेरिया का रोकथाम एवं उन्मूलन Prevention and Elimination of Malaria

भारत सरकार ने मलेरिया रोग के उन्मूलन और रोकथाम के लिए कई अभूतपूर्व कदम उठाए हैं, जिसके अंतर्गत लोगों को मलेरिया के बारे में Information देना, मलेरिया परजीवी (Parasite) और पोषको (Host)के बारे में बताना,

मलेरिया से किस प्रकार से बचाव किया जाए, मलेरिया प्रभावित क्षेत्र आदि के बारे में विभिन्न प्रकार से जानकारी देकर लगभग मलेरिया को रोक ही दिया है।

इसके साथ ही मलेरिया के रोग वाहक मच्छर (Mosquito) को नष्ट करने के लिए निम्न प्रकार के उपाय बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकते हैं:-

वयस्क मच्छरों से सुरक्षा Protection against adult mosquitoes

मच्छरों से सुरक्षा करना मलेरिया रोग से सुरक्षा करने के बराबर होता है, क्योंकि मच्छर ही मलेरिया के वाहक होते हैं इसीलिए आपको अपने आसपास घरों की साफ-सफाई नियमित रूप से करना चाहिए

घरों में डीडीटी (DDT) का छिड़काव करना चाहिए, बाजार में मच्छर रोधी विभिन्न प्रकार की सामग्री भी उपलब्ध है, जिन्हें जलाकर मच्छरों का विनाश किया जा सकता है।

जिस क्षेत्र में मच्छरों का अधिक प्रकोप है, उस क्षेत्र में रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए, फुल कपड़े पहनने चाहिए, आसपास मच्छर प्रजनन क्षेत्रों को नष्ट कर देना चाहिए।

मच्छरों के लार्वा का विनाश Destruction of mosquito larvae

जहाँ पर मच्छर प्रजनन क्षेत्र हैं, आसपास के पोखर आदि उन क्षेत्रों में मच्छरों के लारवा (Larva) तथा मच्छरों का विनाश करना बहुत जरूरी होता है।

अपने आसपास पोखर गड्ढा आदि में समय-समय पर मिट्टी का तेल डालते रहना चाहिए, जिससे मच्छरों के अंडे लारवा, प्यूपा मर जाएँ नष्ट हो जाएँ,

अपने घरों की और घर के बाहर की नालियों को ढक कर रखना चाहिए, समय-समय पर उनकी सफाई करते रहना चाहिए। डीडीटी पाउडर (DDT Powder) का छिड़काव अपने आसपास नालियों में तथा गड्ढों में करते रहना चाहिए,

आसपास के छोटे-छोटे पोखर, गड्ढे हमेशा के लिए बंद कर देने चाहिए, उन्हें नष्ट कर देने चाहिए ताकि मच्छर वहाँ पर प्रजनन ना कर पाए। आसपास के तालाबों में जहाँ पर मछलियों का पालन होता है,

अगर वहाँ पर मच्छर हैं, तो गैंबुसिया (Gambusia) नामक मछलियों को इन तालाबों में छोड़ देना चाहिए, जो मच्छरों का भक्षण करती हैं, जिससे आसपास के तालाबों में मच्छर उत्पन्न नहीं हो पाएंगे।

औषधि उपचार Drug Treatment

जो भी व्यक्ति मलेरिया रोग से संक्रमित हो जाता है, तब उस स्थिति में औषधि का उपचार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वर्तमान में विभिन्न प्रकार की मलेरियारोधक

औषधि है, जिनका उपयोग करके मलेरिया का उपचार किया जाता है। जिनमें प्रमुख रूप से कुनैन, मेपाक्रीन, क्लोरोक़वीन, केमोक्वीन आदि होती हैं,

जो मलेरिया रोग में बड़ी ही असरकारक ओषधि होती है, किंतु इन दवाओं का सेवन चिकित्सक के निर्देश के आधार पर ही किया जाना चाहिए। 

रसायन विधि द्वारा उपचार Chemical treatment

मलेरिया रोग को रोकने के लिए कुछ रसायन विधियों (Chemical Methids) का भी उपयोग किया जाता है, जो मलेरिया रोग को रोकने में काफी कारगर और प्रभावशाली सिद्ध होती हैं।

कुनैन (Quinine) के जगह पर पेल्यूड्रिन (Peludrin) दी जा सकती है, जबकि एटेब्रिन को 0.1 ग्राम से इतना अधिक लाभकारी माना जाता है। इसके साथ ही 0.1 ग्राम की क्लोरोक़वीन (Chloroquine) को एक 1 सप्ताह के अंतराल से देना मलेरिया रोग में काफी असरकारक सिद्ध होता है।

दोस्तों आपने इस लेख में मलेरिया रोग के लक्षण क्या है तथा उपाय (What Malaria Symptoms and Remedies) पढ़े। आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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