परिवार नियोजन पर निबंध Parivar Niyojan par Nibandh
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख परिवार नियोजन पर निबंध (Parivar Niyojan par Nibandh) में।
दोस्तों यहाँ पर आप परिवार नियोजन क्या है? परिवार नियोजन का इतिहास परिवार नियोजन की विधियाँ पड़ेंगे। तो आइये शुरू करते है यह लेख परिवार नियोजन क्या है विधियाँ:-
परिवार नियोजन क्या हैं what is family planning
परिवार नियोजन पर एक निबंध:- परिवार नियोजन का सम्बन्ध, परिवार को नियंत्रित करने बच्चों के जन्म को नियंत्रित करने से होता है। साधारण शब्दों में छोटा परिवार रखना ही परिवार नियोजन कहलाता है,
किंतु वास्तविक अर्थ में परिवार नियोजन का अर्थ छोटा परिवार रखने से नहीं होता है, वरन, परिवार नियोजन का अर्थ छोटा परिवार रखना एक साथ दो बच्चों के साथ ही अनचाहे गर्भ को रोकना,
चाहने पर गर्भ को धारण करना दो गर्भ के बीच अंतर निर्धारित करना माता-पिता की उम्र के संदर्भ में गर्भधारण को निश्चित करना परिवार में बच्चों की संख्या को भी निश्चित करना है।
इसीलिए साधारण शब्दों में कह सकते हैं, कि परिवार होता है। परिवार नियोजन एक कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत बढ़ती हुई जनसंख्या (Population) को रोकने के लिए प्रत्येक परिवार को अपने बच्चों की
संख्या को निर्धारित करना होता है, जिसमें परिवार में बच्चों की संख्या माता-पिता का स्वास्थ्य गर्भधारण के बीच की अवधि आदि पर महत्वपूर्ण बल दिया जाता है।
परिवार नियोजन का इतिहास History of Family planning
मनुष्य एक शुरू से ही महत्वकांक्षी प्राणी है और मनुष्य को ही वह शक्ति प्राप्त है, जिसके बल पर वह दुनिया को भी छोटा कर देता है, इसीलिए मनुष्य ने अपनी शक्ति और दिमाग के बल पर हर क्षेत्र में
अपनी सफलता के ध्वज लहरा दिए हैं। वर्तमान में मनुष्य के पास सभी प्रकार की सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं, किंतु दूसरी तरफ मनुष्य ने जनसंख्या में भी लगातार वृद्धि की है। भारत ही नहीं दुनिया के ऐसे कई देश हैं, जहाँ पर जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तीव्र है,
और जनसंख्या कई घातक परिणामो जैसे, जलवायु में परिवर्तन, गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, प्रदूषण आदि का कारण है, इसीलिए इन कई कारणों को नियंत्रित करने के लिए तथा जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम को लाया गया।
परिवार नियोजन का अर्थ होता है, परिवार का नियंत्रण करना (बच्चों के जन्म को नियंत्रित करना) होता है। भारत देश को आजादी मिलने के बाद बढ़ती हुई आबादी, गरीबी, भुखमरी,
बेरोजगारी आदि समस्याओं को देखते हुए भारत में सबसे पहले परिवार नियोजन कार्यक्रम 1949 से शुरू कर दिया गया, किंतु इसे वास्तविक रूप 1952 को मिला और इस समय तक
भारत के संपूर्ण क्षेत्र के साथ ही विश्व के कई देशों में यह परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जाने लगा, किंतु परिवार नियोजन को एक अलग विभाग के रूप में पहचान भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय
ने 1966 में दी और 1977 में नई जनसंख्या नीति का गठन होने के पश्चात उस समय की सरकार ने परिवार नियोजन विभाग का नाम बदलकर परिवार कल्याण कार्यक्रम रख दिया, जो तबसे लगातार अपनी सेवाएँ प्रदान करता चला आ रहा है।
परिवार नियोजन की परिभाषा Definition of family planning
परिवार नियोजन की परिभाषा कई स्वास्थ्य संगठनों तथा वैज्ञानिकों ने दी है जिसमें से विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health orgnization) ने इस प्रकार से परिवार नियोजन की परिभाषित दी है, कि परिवार नियोजन का अर्थ केवल
बच्चों के जन्म को रोकना नहीं होता है, इसके अनुसार परिवार नियोजन तब होता है, जब कि वे अनचाहे गर्भ को रोकने, चाहने पर गर्भ धारण करने दो गर्भ के बीच अंतर भी निर्धारित करने माता-पिता की उम्र के संदर्भ में गर्भ का निर्धारण हो और परिवार में बच्चों की संख्या निर्धारित हो से सम्बन्ध रखता है।
परिवार नियोजन की विधियाँ Methods of family planning
परिवार नियोजन की दो प्रकार की प्रमुख विधियाँ उपयोग में लाई जाती हैं, जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझते हैं:-
अस्थाई विधियाँ Temporary methods
यह वो विधियाँ होती हैं, जो अस्थाई रूप से गर्भधारण को रोकने का प्रयास करती हैं, किन्तु इनका उपयोग बंद कर देने के पश्चात फिर से गर्भधारण होने की संभावना बनी रहती है, इसीलिए इसके लिए दंपत्ति को मानसिक रुप से हमेशा तैयार होना पड़ता है, किंतु यह आमतौर पर हो ही नहीं पाता है। कुछ अस्थायी विधियाँ निम्नप्रकार हैं:-
शरीर विज्ञान संबंधी तरीके Physiological methods
- पूर्ण संयम :- यह एक सर्वोत्तम तरीका माना जाता है, किंतु यह तरीका व्यवहारिक तरीका नहीं होता है, क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार की अमनोवैज्ञानिक विकृतियाँ उत्पन्न होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
- संभोग उपक्रम :- यह वह प्राचीन तरीका है, जिसमें संभोग करते समय अगर पुरुष का वीर्य गिरने लगता है, तो पुरुष लिंग को योनि से बाहर निकाल लेता है और शुक्राणु गर्भाशय में नहीं पहुंच पाते हैं। यह एक ऐसा तरीका होता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता, क्योंकि अगर वीर्य का एक कतरा गर्भ में रह गया तो गर्भधारण की संभावना बनी रहती है।
- सुरक्षित काल :- यह तरीका भी एक ऐसा तरीका है, जो पूरी तरीके से कारगर सिद्ध नहीं हुआ। इस तरीके के अंतर्गत आगामी मासिक चक्र के 14 दिन पहले फेलोपियन ट्यूब में डिंब मुक्त हो जाता है, अब मुक्त डिंब 48 घंटे तक जीवित भी रहता है और शुक्राणु स्त्री योनि मार्ग से 24 घंटे से 48 घंटे तक इस डिंब को भेदने की शक्ति रखते हैं। इस तरह 28 दिनों की मासिक चक्र में 1 सप्ताह का समय 11 से 28 दिनों का समय सुरक्षित काल माना जाता है।
रासायनिक तरीके Chemical Methods
- गोलियाँ :- रासायनिक तरीके में गोलियों का स्थान पहले आता है एक या दो गोलियाँ संभोग के पांच 10 मिनट पहले योनि मार्ग में उंगली की मदद से डाल देते हैं, इसका उपयोग आसान होता है, और यह सस्ता भी होता है किन्तु असरकारक कम होता है।
- जेली या क्रीम :- रासायनिक दृष्टि से एक ऐसी क्रीम होती है, जो शुक्राणुओं को नष्ट करने की क्षमता रखती है, इसीलिए योनि में अधिकाधिक दूर तक लगाने के लिए एक एप्लीकेटर के द्वारा इसको लगाया जाता है।
- डुश :- यह वह विधि होती है, जिसमें सम्भोग होने के पश्चात योनि मार्ग को पानी से अच्छे से धो देते हैं, जिससे वीर्य पूरी तरह योनि से धुल जाये और निकल जाए, किंतु इसमें भी खतरा बना रहता है।
यांत्रिक तरीके Mechanical methods
- निरोध :- यांत्रिक तरीकों में यह सबसे अधिक उपयोग में लाया जाने वाला तरीका होता है, इसमें एक रबड़ की थैलीनुमा संरचना होती है, जिसको पुरुष अपने लिंग पर चढ़ा लेता है, जिससे सम्भोग करने पर पुरुष का वीर्य उस थैलीनुमा संरचना में जमा हो जाता है, और गर्भ में ना पहुँचने पर गर्भधारण का डर नहीं रहता है।
- डायफ्राम :- डायफ्राम भी यांत्रिक तरीकों में सबसे अधिक उपयोग में होने वाली एक विधि होती है, जो एक रबड़ के प्याले के समान वस्तु जैसी संरचना होती है। इसको योनि में लगाने से गर्भाशय की नली ढक जाती है। यह एक विश्वसनीय तरीका है, लेकिन उचित परिमाप के डायग्राम से ही अच्छा लाभ प्राप्त होता है। इसलिए ऐसी प्रक्रिया को डॉक्टर या अनुभवी व्यक्ति के द्वारा ही सीखा जाता है।
मौखिक गर्भनिरोधक गोलियाँ Oral contraceptive pills
बाजार में ऐसी विभिन्न प्रकार की गोलियाँ हैं, जिन्हें यदि महिला प्रतिदिन खाए तो वह गर्भधारण से बची रहती है। लेकिन इन गोलियों के खाने से महिला के शरीर पर विभिन्न प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
कई प्रकार की समस्याएँ भी उत्पन्न होने लगती हैं, जिसके कारण डिंब परिपक्व होकर बाहर नहीं आता तथा कभी - कभी गर्भधारण भी नहीं होता। प्रतिदिन गोली लेना तथा किसी दिन भूल जाना गर्भधारण का कारण बन जाता है।
इंजेक्शन से गर्भ निरोध Contraception by injection
वर्तमान में वैज्ञानिक पद्धति अधिक विकसित हो जाने के कारण ऐसी कई हारमोंस भी हैं, जो इंजेक्शन के द्वारा महिलाओं को दे दिए जाते हैं, जिससे लगभग 3 माह तक महिला गर्भधारण से बच जाती है।
महिलाएँ अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए हर तीन महीने में कॉन्ट्रासेप्टिव इंजेक्शन का इस्तेमाल कर सकती हैं, जिसका नाम डीएमपीए (DMPA) इंजेक्शन है। DMPA का अर्थ है डिपो मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रॉन एसीटेट होता है, किन्तु यह प्रिक्रिया बहुत महंगी है, जो सभी उपयोग नहीं कर सकते है।
स्थाई विधियाँ Permanent methods
स्थाई विधियाँ वे विधियाँ होती हैं, जिनका उपयोग लोगों को करना होता है, जो अपना परिवार पूरा कर चुके होते हैं, अर्थात ऐसे परिवार जिनको अब बच्चों की और अधिक आवश्यकता नहीं है।
ऐसे लोग स्थाई परिवार नियोजन की विधियों का अनुकरण कर सकते है जिसे नसबंदी कहते हैं। इसका प्रचलित नाम भी नसबंदी ही है इसके अंतर्गत महिला और पुरुष दोनों की अलग - अलग प्रकार से नसबंदी की जाती है।
- पुरुष नसबंदी :- पुरुष नसबंदी केवल पुरुषो की की जाती है, इसमें मामूली ऑपरेशन के बाद पुरुष शुक्रवाही नालिका (शुक्राणुओं को ले जाने वाली नालिका) को ही बांध दिया जाता है, जिससे शुक्राणु वीर्यपात के समय बाहर ना निकल पाएँ और गर्भधारण ना हो पाए।
- महिला नसबंदी :- महिला नसबंदी महिलाओं के लिए होती है, जिसमें महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब को इस तरह बांध लिया जाता है, कि डिंब गर्भाशय में नहीं पहुंच पाता है और डिंब तथा शुक्राण की मुलाकात नहीं हो पाती तो गर्भधारण नहीं हो पाता है।
परिवार नियोजन के लाभ Benifit of family planning
- स्वास्थ्य लाभ :- परिवार नियोजन का सबसे बड़ा लाभ स्वास्थ्य लाभ होता है, कियोकि अगर व्यक्ति स्वास्थ्य है तो वह कोई भी कार्य कर सकता है उसे किसी दुसरे पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा इसलिए कहा गया है हेल्थ इज वेल्थ (Health is welth)। परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत दो गर्भधारण अवधि में अंतर से जच्चा और बच्चा दोनों स्वास्थ्य रहते है।
- बेहतर सुविधाएँ :- जो परिवार इस कार्यक्रम का हिस्सा बनते है वे परिवार खुशहाल और छोटे होते है कियोकि मंहगाई के ज़माने में चार - पाँच बच्चों को पालना बड़ा मुश्किल होता है। अगर छोटा परिवार होगा तो दैनिक मजदूर भी उन्हें बेहतर सुविधाएँ स्वास्थ्य, शिक्षा आदि उपलब्ध करा पायेगा किन्तु बड़ा परिवार होने पर कई समस्याएँ आने लगती है।
- सामाजिक समस्यायों पर रोक :- परिवार नियोजन से स्वास्थ्य लाभ होता है परिवार छोटा होता है और उनकी जरूरतें कम आमदनी में पूरी होती है तो कई सामाजिक बुराइयाँ, चोरी, लूटपाट, मिलावटखोरी, भृष्टाचारी प्रदूषण, गरीबी आदि पर भी प्रभाव पड़ेगा।
- पर्यावरण पर प्रभाव :- पर्यावरण की भी कई समस्याएँ परिवार नियोजन से खत्म होती है अधिक संतान उत्पन्न करने से भोजन तथा आवास की व्यवस्था करनी पडती है इसलिए आवास के लिए लोग जंगलो को काटकर वस्ती बनाते है, भोजन और पैसों के लिए जानवरो का शिकार करते है जिससे जलवायु पर्यावारण असंतुलन होता है, इसलिए परिवार नियोजन द्वारा छोटा परिवार होने पर इन समस्याओं का निदान हो सकता है।
निष्कर्ष Conclusion
दोस्तों यहाँ पर आपने परिवार नियोजन पर निबंध (Parivar Niyojan par Nibandh) के बारे मे पढ़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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