नरोत्तम दास का जीवन परिचय Narottam Das Biography
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख नरोत्तम दास का जीवन परिचय (Narottam Das Biography) में। दोस्तों इस लेख द्वारा आप नरोत्तम दास का जीवन परिचय द्वारा
उनका जन्म उनकी रचनाएँ भाषा शैली आदि का ज्ञान प्राप्त करेंगे, कियोकि यह तथ्य कई परीक्षाओं में पूंछे जाते है। तो आइये शुरू करते है, यह लेख नरोत्तम दास का जीवन परिचय:-
नरोत्तम दास का जीवन परिचय Narottam Das Biography
हिंदी साहित्य को चार प्रमुख कालों में बांटा गया है और उनमें से सबसे प्रमुख काल है हिंदी साहित्य का "भक्तिकाल" जी हाँ हिंदी साहित्य का भक्तिकाल जिसकी शुरुआत दक्षिण भारत के भक्ति आंदोलन से हुई थी। उस आंदोलन के एक प्रमुख कवि तथा भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त नरोत्तमदास है।
नरोत्तमदास की भगवान श्री कृष्ण पर अनन्य भक्ति और आस्था दिखाई देती है। उन्होंने कृष्ण जीवन को केंद्र बिंदु मानकर केवल भगवान श्रीकृष्ण के लिए ही रचनाएँ लिखी है। ऐसे महान भक्तकवि का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के सीतापुर जिले के एक छोटे से गाँव
में 1550 ईस्वी में हुआ था, किंतु नरोत्तम दास जी के जन्म दिवस के बारे में विभिन्न इतिहासकारों और कवियों में मतभेद है। नरोत्तम दास जी के जीवन के बारे में विभिन्न तथ्य तथा साक्ष्य मालूम नहीं है, उनके माता-पिता आदि का भी किसी को कोई भी ज्ञान नहीं है।
शिलालेख, स्तम्भलेख आदि प्रमाण के आधार पर केवल यही ज्ञात होता है, कि नरोत्तमदास का जन्म उत्तरप्रदेश के जिला सीतापुर मेंं तहसील सिधौली के ग्राम बाड़ी नामक स्थान पर एक धार्मिक परिवार में हुआ था।
उनके माता-पिता धार्मिक प्रकृति के थे, इसीलिए धार्मिक प्रवृत्ति का प्रभाव नरोत्तमदास पर भी पड़ा और वह भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त बन गए। साधु संतों की संगति पाकर उन्होंने गांव-गांव में
घूम-घूम कर भगवान कृष्ण की भक्ति की और एक सबसे प्रसिद्ध खंडकाव्य सुदामा चरित्र की रचना कर दी, जिसकी महिमा आज भी धार्मिक उत्सवों पर देखने को मिल जाती है।
नरोत्तम दास की रचनाएँ Narottam Das's compositions
नरोत्तमदास प्रमुख रूप से भक्तिकाल के कृष्णभक्ति शाखा के कवि हैं, उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपना केंद्र बिंदु मानकर भगवान श्री कृष्ण और सुदामा से संबंधित रचनाएँ प्रदान की है, जिनमें से सबसे प्रमुख रचना का नाम सुदामा चरित्र है,
जिसकी महिमा का बखान आज बड़े बड़े ज्ञानी और पंडित करते हैं, तथा इसकी कई झांकियाँ धार्मिक स्थलों पर देखने को मिल जाती हैं।
इसके अलावा नरोत्तमदास की रचनाओं में ध्रुवचरित्र, नाम संकीर्तन, विचारमाला को रखा गया है, किंतु प्रमाणिकता ना मिलने के कारण इन पर विभिन्न कवियों और इतिहासकारों ने आपत्तियाँ भी जताई हैं।
नरोत्तमदास की भाषा शैली Narottamadas language style
नरोत्तमदास जी कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं, और उन्होंने अपने काव्य को ब्रज भाषा में सुशोभित करने का कार्य किया है। अर्थात नरोत्तमदास जी ने अपने काव्य में ब्रजभाषा को प्रमुखता प्रदान की है।
ब्रजभाषा में लिखा हुआ उनका खंडकाव्य सुदामा चरित्र विश्व विख्यात है। नरोत्तम दास ने अपने काव्य में सबसे प्रमुख रूप से नाट्यशैली को प्रमुखता प्रदान की है।
अपनी इस शैली के जरिए उन्होंने अपनी कविता सुदामा चरित्र को जीवंत रूप प्रदान किया है। उन्होंने अपने काव्य में दोहा,, कविता सवैय्या जैसे छंदों का प्रयोग बड़े ही मनोहारी ढंग से किया है।
नरोत्तम दास का साहित्य में स्थान Narottam Das's place in literature
दोस्तों यहाँ पर नरोत्तम दास का जीवन परिचय (Narottam Das Biography) पढ़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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