विकलांगता पर निबंध Essay on disability
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख विकलांगता पर निबंध (Essay on disability) में। दोस्तों यहाँ पर आप विकलांगता पर निबंध पड़ेंगे जिसके अंतर्गत विकलांगता क्या है?
विकलांगता के कारण समस्या समाधान आदि कई महत्वपूर्ण तथ्य जान पाएंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख विकलांगता पर निबंध
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विकलांगता क्या है what is disability
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी (Social animal) है और वह समाज में रहता है इसलिए हमारे आस पास बहुत से लोग रहते हैं जो हमारे सगे संबंधी सामाजिक संबंधी होते हैं, जिनमें हम अपने आसपास देखते हैं, कि बहुत से ऐसे बच्चे ऐसे व्यक्ति भी होते हैं,
जो शारीरिक तथा मानसिक रूप से सामान्य लोगों से अलग होते हैं और वह विभिन्न प्रकार के वे कार्य करने में असमर्थ होते है जो कार्य सामान्य बालक व्यक्ति कर लेते है यही उनकी अक्षमता का कारण होता है
और उसे विकलांगता (Disability) कहा जाता है। साधारण भाषा में हम कह सकते हैं, वह व्यक्ति या बच्चे जो शारीरिक तथा मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं तथा किसी भी कार्य को करने में असमर्थ है,
उन्हें विकलांग कहा जाता है। उदाहरण के लिए माना कि एक व्यक्ति है, जिसका एक पैर नहीं है तो वह साइकिल नहीं चला सकता इसीलिए उस व्यक्ति को विकलांग व्यक्ति कहा जाता है, किसी व्यक्ति का हाथ नहीं है
तो वह भी विभिन्न प्रकार के कार्य करने में सक्षम नहीं होता है, यदि कोई ऐसा बच्चा है ऐसा कोई व्यक्ति है, जिसकी बुद्धि बहुत ही कम है और वह किसी भी प्रकार की शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाता है
तथा लोगो से सामंजस्य नहीं बैठा पाता तो वह भी विकलांग होता है उसकी इस अक्षमता को विकलांगता (Disability) कहा जाता है।
विकलांगता के प्रकार Type of Disability
विकलांगता को दो प्रकारों में बांटा गया है:-
शारीरिक विकलांगता Physical disability
जब कोई भी व्यक्ति शारीरिक रूप से सामान्य कार्यों को करने में अक्षम होता है तो उसे शारीरिक विकलांग कहते हैं जैसे कि कोई व्यक्ति देख नहीं पाता कोई व्यक्ति बोल नहीं पाता तो कोई व्यक्ति चलने में कठिनाई का महसूस करता है, ऐसी विकलांगता को शारीरिक विकलांगता कहते हैं जब कोई व्यक्ति देख नहीं पाता है
या स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता है तो उसको दृष्टि विकलांगता (visual impairment) कहते हैं, जबकि जो व्यक्ति बोल नहीं पाते हैं, तो वह वाणी द्वारा विकलांग (Speech impaired) व्यक्ति माने जाते हैं। समाज में ऐसे भी कई व्यक्ति होते हैं,
जिन्हें सुनने में कठिनाई होती है या फिर उन्हें बिल्कुल सुनाई ही नहीं देता ऐसे लोगों को श्रवण बाधित लोग या श्रवण विकलांग (Hearing impaired) व्यक्ति कहा जाता है, जबकि बहुत से व्यक्ति शरीर से ही विकलांग होते हैं, जैसे किसी का हाथ पैर ना होना
किसी के हाथ पैर होते हुए भी वह कमजोर होना जिससे उन्हें एक स्थान से दुसरे स्थान तक आने जाने के लिए किसी दूसरे आश्रय की जरूरत हो वह शारीरिक विकलांगता के अंतर्गत आती है।
मानसिक विकलांगता Mental disability
मानसिक विकलांगता से अर्थ उस स्थिति से है जब कोई व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों से भी बुद्धि लब्धि में कम होता है। उसमें सोचने समझने विचार करने तथा भावों को ग्रहण करने की क्षमता सामान्य व्यक्तियों से कम होती है, उसको मानसिक विकलांग व्यक्ति कहा जाता है।
मानसिक विकलांग व्यक्ति देखने में तो सामान्य व्यक्तियों के ज्यादातर समान ही दिखाई देते हैं, किंतु विचारों से सोचने समझने की शक्ति से भावों से बिल्कुल ही सामान्य व्यक्तियों से कम होते है उन्हें मंदबुद्धि व्यक्ति या मंदबुद्धि बालक के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उनका मस्तिष्क ठीक प्रकार से कार्य नहीं करता और इनकी बुद्धि लब्धि भी 90 से लगभग कम ही होती है।
विकलांगता के कारण Causes of disability
शारीरिक विकलांगता के कारण तथा मानसिक विकलांगता के कारण भिन्न-भिन्न होते हैं, जैसे कि शारीरिक विकलांगता के कारण आनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं जबकि कुछ मानवजनित बाहरी कारण भी शारीरिक विकलांगता के कारण हो सकते हैं,
किंतु जब बात की जाती है, मानसिक विकलांगता के कारणों की तो मानसिक विकलांगता का सबसे प्रमुख कारण अनुवांशिकी कारण ही होते हैं जिनको हम निम्न प्रकार से समझते हैं:-
शारीरिक विकलांगता के कारण Causes of physical disability
शारीरिक विकलांगता के कारणों में आनुवांशिक कारण (Genetic factors) के साथ ही वह बहुत कारण भी उत्तरदाई होते हैं जो बालक या बालिका के जन्म के पश्चात कभी भी घटित हो सकते हैं।
गर्भावस्था में ठीक प्रकार से भ्रूण का विकास ना हो पाना, गर्भावस्था के दौरान माता को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना शरीर में आयोडीन, सोडियम, पोटेशियम कई मिनरल आदि की कमी का होना, शारीरिक विकलांगता के कारण होते हैं।
इसके अलावा जब बालक या बालिका का जन्म हो जाता है, तो उसके पश्चात विभिन्न प्रकार की बाहरी दुर्घटनाएँ भी शरीर की विकलांगता के कारण माने जाते हैं, जिससे शरीर का कोई अंग या तो अलग हो जाता है या फिर किसी बीमारी की चपेट में आकर वह कार्य करना बंद कर देता है जिससे शरीर के उस मुख्य अंग के द्वारा कोई भी सामान्य कार्य नहीं हो पाता है, जिससे शारीरिक विकलांगता उत्पन्न हो जाती है।
मानसिक विकलांगता के कारण Causes of Mental Disability
विभिन्न प्रकार की अनुवांशिक बीमारियाँ (Genetic diseases) जो जींस के कारण होती हैं, मानसिक विकलांगता के कारण मानी जाती हैं, जिनमें सबसे प्रमुख डाउन सिंड्रोम (Down syndrome) अल्कोहल सिंड्रोम (Alcohol syndrome) का नाम आता है और यह विकलांगता बच्चों को उनके माता-पिता के द्वारा प्राप्त होती हैं,
जो जीवन में कभी भी खत्म नहीं हो सकती। सेक्स गुणसूत्र (Sex Chromosome) एक्स (X) और वाई (Y) में होने वाली विभिन्न प्रकार की कमियाँ भ्रूण विकास में होने वाली अनियमितताएँ मानसिक विकलांगता की कारण हो जाती है।
इसके अलावा ठीक प्रकार से गर्भधारण ना हो पाना गर्भ का ठीक प्रकार से विकास न हो पाना तथा गर्भ का गर्भ में ठीक प्रकार पोषण ना हो पाना मानसिक विकलांगता के कारण बनते जाते है, जबकि बाहरी बीमारियाँ जैसे कि महिलाओं का शराब का आदी होना,
गर्भधारण होने के बाद ठीक प्रकार से शरीर को आराम ना देना, गर्भधारण महिलाओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ खसरा, काली खांसी, टाइफाइड आयोडीन की कमी का होना तथा प्रसव ठीक ना हो पाना भी विकलांगता का कारण हो जाता है।
विकलांगता के रोकथाम के उपाय Disability Prevention Measures
विकलांगता के कई कारण होते है इसलिए उन कारणों की पहचान कर विकलांगता को काफी हद तक रोका जा सकता है। जैसे सबसे प्रमुख कारण पर्यावरण है, कियोकि वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution) लगातार बढ़ रहा है उद्योगो द्वारा रासायनिक कचरा, रासायनिक धुंआ वायु जल और मिट्टी को लगातार प्रदूषित कर रहें है
शहरों में तो ताजी हवा में सांस लेना दूभर हो गया है, इसलिए सबसे पहले पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक होना चाहिए तथा पर्यावरण प्रदूषण रोकना चाहिए वृक्षारोपण करना चाहिए स्वछता से रहना चाहिए।
लोगों को अपने जीवन योग और मैडिटेशन अपनाना चाहिए और यह कार्य महिलाओं को भी करना चाहिए इससे ध्यान आध्यात्मिकता की ओर जाता है मन तथा तन दोनों स्वास्थ्य रहते है। कई बीमारियाँ दूर होती है तथा पैदा होने वाले बच्चें बुद्धिमान और स्वास्थ्य होते है।
विकलांगता रोकने के लिए शुद्ध वायु में स्वाँस लेना चाहिए ताजी सब्जियों हरी सब्जियों फल आदि के साथ दूध का उपभोग अर्थात संतुलित आहार का सेवन तथा दिन में 5-6 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए।
इसके आलावा कई अनुवंशिक कारण (Genetic Factor) भी है, जिनमें वैज्ञानिक लगातार रिसर्च (Reaserch) कर रहें है।
विकलांग व्यक्तियों की समस्याएँ Problems of Persons with Disabilities
विकलांग व्यक्तियों की प्रकार की समस्याएँ होती हैं, चाहे वह शारीरिक रूप से विकलांग हो या फिर मानसिक रूप से विकलांग हो, जबकि शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति नहीं होते किंतु दोनों की समस्याएँ अलग-अलग होती हैं,
जबकि मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों की समस्याएं बड़ी ही कठिन समस्याएं होती हैं, क्योंकि कुछ ऐसे मानसिक रोगी ऐसे मानसिक विकलांग लोग भी होते हैं, जिनकी देखरेख के लिए 24 घंटे किसी न किसी व्यक्ति की जरूरत होती है।
अगर हम बात शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति की जैसे कोई व्यक्ति पोलियो से ग्रसित था तो उसके पैर काम नहीं करते होंगे इसके लिए उसे व्हील चेयर के साथ ही किसी एक व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता होगी
जिसके द्वारा वह अपना कार्य कर सके एक स्थान से दूसरे स्थान पर आ जा सके। वही कंडीशन उस व्यक्ति की भी होगी जो हाथों से विकलांग है, किंतु इसके बिल्कुल दूसरी तरफ मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों की समस्याएँ बिल्कुल अलग और भिन्न-भिन्न होती हैं और यह उसकी बुद्धि लब्धि पर निर्भर करता है।
माना कि कोई व्यक्ति है, जिसकी बुद्धि लब्धि 70 के लगभग है तो वह व्यक्ति अपना स्वयं का कार्य करना जैसे बाथरूम जाना, नहाना अपने कपड़े पहनना दूसरे की भाषा को समझ कर उसका जवाब देना तथा परिवार के लोगों के साथ रहना आदि तो कर लेता है,
किंतु वह टेक्निकल कार्य एजुकेशनल कार्य करने में सक्षम नहीं होता है, जबकि 50 से कम बुद्धि लब्धि के मानसिक विकलांगो को किसी सहारे की आवश्यकता होती है, इसके लिए उसे टॉयलेट ले जाना, नहाना, कपड़े पहनाना आदि कार्य करने में सहायता करना पड़ता है,
जबकि 30 बुद्धि लब्धि से कम के लोग अति मानसिक विकलांगता की श्रेणी में आते हैं, जो किसी भी प्रकार के कार्य को करने में पूरी तरह अक्षम होते हैं, उन्हें चौबीसों घंटे किसी न किसी सहारे की आवश्यकता होती है। इसके अलावा विकलांग व्यक्तियों की समस्याएँ
खत्म नहीं होती हैं, विकलांग व्यक्तियों की बाहरी अन्य कई समस्याएं होती हैं, जैसे कि उन्हें हीन भावना से देखना, समाज से उनका बहिष्कार करना उनके अधिकारों और आवश्यक सुविधाओं से उन्हें वंचित कर देना भी दिव्यांग जनों की विभिन्न प्रकार की समस्याओं के अंतर्गत आती हैं।
विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान Solving the problems of persons with disabilities
दिव्यांग व्यक्तियों की अर्थात विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान कई प्रकार से किया जा सकता है, लेकिन इसके पहले व्यक्ति को स्वयं को सुधारना होगा स्वयं के ह्रदय से हीन भावना को दूर करना होगा।
दिव्यांग जनों को समाज में उनका उचित अधिकार प्रदान करना होगा और उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना होगा। समाज में जो भी विकलांग जन व्यक्ति है समाज के द्वारा उन्हें विभिन्न क्रियाकलापों द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिससे वह भी समाज के साथ जुड़ कर अपने जीवन को उचित तरीके से जी सकें, जो मानसिक रूप से विकलांग है
उन्हें समाज के द्वारा आदर सम्मान से देखा जाना चाहिए समय-समय पर उनकी तकलीफों को उनकी स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का निदान किया जाना चाहिए। समाज के लोगों को जबकि परिवार के लोगों को भी विकलांग व्यक्तियों से प्रेम पूर्वक संबंध बनाए रखना चाहिए।
सरकार द्वारा विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान
भारत सरकार ने विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं का हल करने के लिए काफी प्रयास किया है और लगातार प्रयासरत भी है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 2.68 करोड़ व्यक्ति विकलांग है
और भारत सरकार द्वारा विकलांग जन अधिनियम 2016 की धारा 8 इन स्थितियों में दिव्यांगजनों के लिए समान संरक्षण और सुरक्षा की गारंटी देती है। भारत सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की ऐसी योजनाएँ चलाई जाती हैं जो दिव्यांगजन कल्याण योजनाएँ होती हैं, जो प्रमुख निम्न प्रकार से हैं:-
- दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना :- इस योजना के द्वारा भारत में विभिन्न प्रकार की गैर सरकारी संगठनों को भारत सरकार वित्तीय सहायता देती है, ताकि यह गैर सरकारी संगठन दिव्यांग जनों को उचित सहायता प्रदान करें तथा उन्हें आवास स्वास्थ्य अध्ययन के लिए विशेष विद्यालय तथा प्रशिक्षण के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर दिव्यांग जनों को समाज में समावेशी जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करें।
- राष्ट्रीय फेलोशिप :- भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय फेलोशिप उन विकलांग छात्र छात्राओं को दी जाती है, जो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा 200 विद्यार्थियों को राष्ट्रीय फेलोशिप प्रदान करती है।
- भारत सरकार के विकलांग जन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के अंतर्गत विकलांग जन लोगों को कुछ सहायता तथा उनके स्वास्थ्य के साथ ही उन्हें उचित आहार तथा जीवन जीने के लिए विभिन्न प्रकार की कार्यशैलीयों को समाहित करके विकलांग जनों को प्रोत्साहित करना है होता है।
दोस्तों यहाँ पर आपने (विकलांगता पर निबंध Essay on disability) पढ़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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